EXAMINE THIS REPORT ON HANUMAN CHALISA

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व्याख्या – ‘राम लखन सीता मन बसिया’– इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि भगवान् श्री राम, श्री लक्ष्मण जी एवं भगवती सीता जी के हृदय में आप बसते हैं।

चिन्टू सेवक द्वारा गाया हनुमान चालीसा

Hanuman having a Namaste (Anjali Mudra) posture The meaning or origin in the phrase "Hanuman" is unclear. From the Hindu pantheon, deities commonly have a lot of synonymous names, Each individual dependant on some noble attribute, attribute, or reminder of the deed obtained by that deity.

राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।

समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।

He's historically considered to generally be the spiritual offspring on the wind deity Vayu, who is alleged to get performed a significant position in his delivery.[7][eight] In Shaiva tradition, he is regarded for being an incarnation of Shiva, although in many of the Vaishnava traditions he is the son and incarnation of Vayu. His tales are recounted not just from the Ramayana but also within the Mahabharata and a variety of Puranas.

व्याख्या – संसार में रहकर मोक्ष (जन्म–मरण के बन्धन से मुक्ति) प्राप्त करना ही दुर्गम कार्य है, जो आपकी कृपा से सुलभ है।

भावार्थ – आपकी शरण में आये हुए भक्त को सभी सुख प्राप्त हो जाते हैं। आप जिस के रक्षक हैं उसे किसी भी व्यक्ति या वस्तु का भय नहीं रहता है।

“He whoever reads these verses on Hanuman, he can get spiritual attainments, Lord Shiva is definitely the witness to this assertion.”

The king on the gods, Indra, responds by telling hanuman chalisa his spouse the residing getting (monkey) that bothers her will be to be witnessed as a buddy, and that they need to make an energy to coexist peacefully. The hymn closes with all agreeing that they should occur together in Indra's house and share the wealth of your offerings.

व्याख्या– राजपद पर सुकण्ठ की ही स्थिति है और उसका ही कण्ठ सुकण्ठ है जिसके कण्ठपर सदैव श्री राम–नाम का वास हो। यह कार्य श्री हनुमान जी की कृपा से ही सम्भव है।

व्याख्या – संसार में मनुष्य के लिये चार पुरुषार्थ हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। भगवान के दरबार में बड़ी भीड़ न हो इसके लिये भक्तों के तीन पुरुषार्थ को हनुमान जी द्वार पर ही पूरा कर देते हैं। अन्तिम पुरुषार्थ मोक्ष की प्राप्ति के अधिकारी श्री हनुमन्तलाल जी की अनुमति से भगवान के सान्निध्य पाते हैं।

यहाँ हनुमान जी के स्वरूप की तुलना सागर से की गयी। सागर की दो विशेषताएँ हैं – एक तो सागर से भण्डार का तात्पर्य है और दूसरा सभी वस्तुओं की उसमें परिसमाप्ति होती है। श्री हनुमन्तलाल जी भी ज्ञान के भण्डार हैं और इनमें समस्त गुण समाहित हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति का ही जय–जयकार किया जाता है। श्री हनुमान जी ज्ञानियों में अग्रगण्य, सकल गुणों के निधान तथा तीनों लोकों को प्रकाशित करने वाले हैं, अतः यहाँ उनका जय–जयकार किया गया है।

This act is maybe his most legendary amongst Hindus.[53] A chunk of the mountain was explained to own fallen down and also the present working day "Forts Purandar and Vajragad" are thought to become the fallen pieces.

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